Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

Responsive Advertisement

जानें क्या होता है वीपीएन - पूरी जानकारी हिन्दी में

प्रिय दोस्तों, आप सभी का हमारी वेबसाइट क्रेज़ी टिप्स मार्केट में स्वागत है। मेरा नाम है एंजेला और यहाँ हम आपके लिए लेकर आते हैं कम्प्यूटर, मोबाइल, इंटरनेट से जुड़ी टिप्स, ट्रिक्स, ट्यूटोरियल और घर बैठे पैसे कमाने के उपाय। आज की पोस्ट में मैं आपको बताने वाली हूँ वीपीएन के बारे में। वीपीएन क्या होता है और यह कैसे काम करता है यह जानेंगे आज की पोस्ट में वो भी हिन्दी में आसान शब्दों में।

दोस्तों, इंटरनेट का इस्तेमाल करने के दौरान वीपीएन का नाम हमने कई बार सुना होगा। हमने इससे संबंधित कंपनियों के विज्ञापन कई जगहों पर देखे भी होंगे। हम में से कुछ लोग इसका फुल फॉर्म तो जानते हैं पर इसके आगे उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं हो पाती है। आज की इस पोस्ट में मैं वीपीएन के बारे में विस्तार से बताने जा रही हूँ तो पूरी जानकारी लेने के लिए इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें।

तो आइए शुरू करते हैं।

 
what-is-vpn-explained-in-hindi
what-is-vpn-explained-in-hindi


 
टेबल ऑफ कंटेंट
1) वीपीएन क्या होता है?
2) वीपीएन कैसे काम करता है?
3) वीपीएन के फायदे-नुकसान क्या होते हैं?

वीपीएन क्या होता है?

दोस्तों, पिछले कुछ समय में इंटरनेट के इस्तेमाल में तेजी आयी है। हमारे दैनिक जीवन के कई कामों में इंटरनेट की भागीदारी बढ़ी है। हम में से कई लोग पैसों के लेन-देन, खरीददारी, व्यवसाय, बैंकिग जैसी सेवाओं को इंटरनेट की मदद से ऑनलाइन इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में हमारा नुकसान करने वाले लोग भी ऑनलाइन ठगी में उतर आए हैं। इंटरनेट पर ऑनलाइन सिक्योरिटी और प्राइवेसी की समस्या को दूर करने के कई उपायों में से एक उपाय वीपीनए भी है।
 
वीपीएन का फुल फॉर्म होता है - वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क। जब सन् 1996 में पहली बार माइक्रोसॉफ्ट के द्वारा वीपीएन की शुरूआत की गयी थी तब इसका मुख्य उद्देश्य कंपनी के कर्मचारियों को कंपनी के आंतरिक नेटवर्क का सुरक्षित रिमोट एक्सेस देना था। यह विचार इतना मशहूर हुआ कि सन् 1999 आते-आते वीपीएन की विस्तृत जानकारी प्रकाशित की गयी और सन् 2000 तक कई कंपनियों में इसका प्रयोग होने लगा।
 
यह ऐसी नेटवर्क टेकनोलॉजी है जो यूज़र की वास्तविक पहचान को छुपाने में मदद करती है। यह यूज़र के लोकेशन को भी छुपा लेती है जिससे यूज़र को कई फायदे मिलते हैं। सबसे पहला फायदा तो यूज़र को यह मिलता है कि उसकी वास्तविक पहचान गुप्त होने के कारण वह हैकरों के निशाने पर आने से बच सकता है। वीपीएन की मदद से यूज़र इंटरनेट पर प्रतिबंधित सेवाओं और वेबसाइटों तक भी अपनी पहुंच बना सकता है।

वीपीएन कैसे काम करता है?

वीपीएन की कार्यप्रणाली को समझने से पहले आइए हम संक्षेप में यह जान लेते हैं कि इंटरनेट कैसे काम करता है।
 
जब हम अपने ब्राउज़र में किसी वेबसाइट का पता (यूआरएल) डालकर इंटर या ओके दबाते हैं तो यह सूचना विशेष प्रकार के संकेतों का रूप लेकर हमारे कम्प्यूटर या मोबाइल से निकलकर हमारी इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी के पास जाती है और वहाँ से उस वेबसाइट के सर्वर तक पहुंचती है। इसके बाद उस सर्वर से डाटा हमारे इंटरनेट सेवा प्रदाता से होते हुए हमारे डिवाइस तक आता है और हमें ब्राउज़र में वेबपेज के रूप में दिखाई देता है।
 
इंटरनेट कैसे काम करता है जानें विस्तार से - यहाँ क्लिक करें।
 
इस पूरी प्रक्रिया में कई जगह से आपके डाटा चोरी होने संभावनाएँ रहती हैं और आपकी जरूरी सूचनाओं पर सेंधमारी का खतरा बना रहता है। कई बार कुछ वेबसाइट किसी क्षेत्र विशेष में रहने वाले लोगों के लिए अपनी सेवाओं को सीमित या प्रतिबंधित करती हैं।
 
एक वीपीएन ऐसी समस्याओं का समाधान कर सकता है। आइए जानते हैं कि वीपीएन ऐसा कैसे करता है।
 
सरल भाषा में कहूँ तो वीपीएन कई सारे प्रोटोकॉल्स पर काम करता है। इसका लाभ लेने के लिए सबसे पहले आपको अपने सिस्टम में एक वीपीएन क्लाइंट इंस्टॉल करना पड़ता है जो आपके सिस्टम से वीपीएन सर्वर तक एक सिक्योर टनल बनाते हैं। इस टनल से गुजरने वाला सारा डाटा पूरी तरह से एनक्रिप्टेड होता है। वीपीएन सेवा प्रदाता कंपनियों के पास दुनिया के विभिन्न हिस्सों में सर्वर मौजूद होते हैं और आपके पास यह विकल्प होता है कि आप किस क्षेत्र के सर्वर का इस्तेमाल करना चाहते हैं यह आप चुन सकते हैं। जब आप किसी खास वीपीएन सर्वर से जुड़ते हैं तो आपकी असली आईपी मास्क हो जाती है और आपकी लोकेशन वही दिखाई देने लगती है जो आपके वीपीएन सर्वर की है।
 
वीपीएन प्रोटोकॉल्स के बारे में जानें विस्तार से - यहाँ क्लिक करें।
 
अब इस प्रक्रिया में होता यह है कि किसी वेबसाइट को एक्सेस करने की रिक्वेस्ट जो आपकी इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी के सर्वर से सीधे वेबसाइट तक जाता था अब वीपीएन सर्वर से होकर जाने लगता है। यहाँ आपको एक फायदा होता है कि सिक्योर टनल और एनक्रिप्टेड डाटा होने के कारण आपकी इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी इस बात की खबर नहीं ले पाती है कि आप किस वेबसाइट से किस तरह के डाटा का आदान-प्रदान करते हैं।
 
ये तो हुई बात कि वीपीएन कैसे काम करता है। अब देखते हैं कि इसके क्या फायदे-नुकसान हैं और यह आपके लिए लाभदायक है भी या नहीं।

वीपीएन के फायदे और नुकसान

दोस्तों वीपीएन इंटरनेट जगत में एक क्रांति की तरह है जिसके बहुत से फायदे हैं। आइए देखते हैं इसके कुछ फायदे:-

वीपीएन के फायदे

1) आपकी ऑनलाइन पहचान की सुरक्षा - जब आप वीपीएन सर्वर से जुड़ जाते हैं तब आपकी खुद की आईपी मास्क हो जाती है और एनक्रिप्टेड कनेक्शन होने के कारण कोई यह नहीं जान पाता है कि आप इंटरनेट पर क्या कर रहे हैं। इससे आप कई बार हैकरों के चपेट में आने से बच जाते हैं।

2) ऑनलाइन कनेक्शन की सुरक्षा - जब आप किसी वाई-फाई नेटवर्क (अपने घर का या अपने किसी दोस्त का या कहीं का फ्री पब्लिक वाई-फाई) का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आप इस बात के लिए निश्चित नहीं हो सकते हैं कि किसी हैकर की नज़र उसपर नहीं होगी। ऐसे में उस कनेक्शन से जुड़े रहते हुए भी खुद की सुरक्षा में वीपीएन ब़ड़ा मददगार होता है। यह तब विशेष रूप से मददगार हो जाता है जब आप ऑनलाइन बैंक लेनदेन कर रहे हैं या अपने किसी जरूरी फाइल को ऑनलाइन एक्सेस कर रहे हैं।

3) जियो-ब्लॉकिंग बाइपास - बड़ी संख्या में लोग वीपीएन का इस्तेमाल इसी फायदे के लिए करते हैं। इंटरनेट पर कई ऐसी वेबसाइट/सेवाएं/सामग्रियां होती हैं जो किसी क्षेत्र विशेष के लिए प्रतिबंधित होती हैं। ऐसा प्रायः सरकारी दिशानिर्देशों के अनुपालन के उद्देश्य से किया जाता है। वीपीएन की मदद से आप ऐसे किसी भी प्रतिबंधित सेवा को एक्सेस कर सकते हैं। आईपी मास्किंग और एनक्रिप्टेड कनेक्शन होने के कारण इंटरनेट पर कोई यह नहीं जान पाता है कि आपकी असल आईपी क्या है और यह किस भौगोलिक क्षेत्र के लिए एलॉट की गयी है। ठीक इसी तरह से कोई यह भी नहीं जान पाता है कि एनक्रिप्टेड वीपीएन टनल के भीतर से कौन सा डाटा गुजर रहा है। इससे जियो-ब्लॉकिंग और कीवर्ड-ब्लॉकिंग दोनों से पार पाया जा सकता है।
 
4) फायरवॉल बाइपास - स्कूल, कॉलेज या ऑफिस के नेटवर्क फायरवॉल से सुरक्षित रहते हैं। यहाँ वे ही वेबसाइट खुलती हैं जिनकी अनुमति फायरवॉल देता है। यह प्रायः कीवर्ड -ब्लॉकिंग पर काम करता है। वीपीएन के एनक्रिप्टेड कनेक्शन की मदद से आप ऐसे कीवर्ड-ब्लॉकिंग को बाइपास कर सकते हैं और फायरवॉल होने के बाद भी आप अपनी इच्छित वेबसाइट से जुड़ सकते हैं।
 
5) बेहतर ऑनलाइन एक्पीरिएंस - आपकी आईपी के आधार पर आपकी लोकेशन (मुख्य रूप से देश, राज्य तथा शहर) आसानी से जानी जा सकती है। कई वेबसाइट ऐसा सिस्टम अपनाती हैं जिससे उनकी सेवाओं की गुणवत्ता किसी विशेष क्षेत्र के लिए कम हो सकती हैं। प्रायः वीडियो या गेमिंग साइट में यह चीज देखने को मिलती है। वीपीएन की मदद से तकनीकी तौर पर आपकी जियो-लोकेशन बदल जाती है और आप क्षेत्र आधारित रिसट्रिक्शन्स को बाइपास कर पाते हैं।
 
दोस्तों, यह तो हुए वीपीएन के कुछ मुख्य फायदे। अब हम देखते हैं कि वीपीएन के इस्तेमाल के क्या-क्या नुकसान होते हैं:-

वीपीएन के नुकसान

1) फ्री वीपीएन, रिस्की वीपीएन - वीपीएन की सेवाएं फ्री में भी उपलब्ध हैं और पैसे खर्च करके भी प्राप्त की जा सकती हैं। वीपीएन का बुनियादी फीचर ही सुरक्षा और निजता प्रदान करना है। कई फ्री वीपीएन फ्री होने के बदले में आपकी निजता और सुरक्षा के साथ समझौता करते हैं। ऐसे में आपको कोशिश करनी चाहिए कि जब भी आप वीपीएन सेवाएं लें तब पेड वीपीएन की सेवाएं ही लें।
 
2) महंगा क्वालिटी वीपीएन - हर अच्छी गुणवत्ता वाली चीज़ की तरह ही एक अच्छा वीपीएन भी महंगा पड़ता है। ऐसे में यदि आपके पास पैसे कम हैं तो आप शायद अच्छे वीपीएन का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे पर फिर भी एक विकल्प यह हो सकता है कि आप किसी अच्छे वीपीएन का जो प्लान आपको सूट करे उसे खरीद सकते हैं। कई वीपीएन कंपनियाँ लॉन्ग टर्म में किफायती दरों पर अपनी सेवाएं उपलब्ध कराती हैं।
 
3) धीमे इंटरनेट की समस्या - कई सारे फीचर्स होने के बाद भी कई बार ऐसा हो सकता है कि वीपीएन आपके इंटरनेट की स्पीड को कम कर दे। ऐसा प्रायः बहुत ही कम होता है पर एक वीपीएन यूजर के तौर पर आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि आपके साथ ऐसा भी हो सकता है।
 
4) वीपीएन ब्लॉकर - जी हाँ! कई वेबसाइट वीपीएन कनेक्शन को सपोर्ट नहीं करती हैं और वीपीएन ब्लॉकर का सहारा लेती हैं। यदि आप किसी ऐसी साइट से जुड़े हैं तो आपको दिक्कतें आ सकती हैं। हालांकि इसका एक पहलू यह भी है कि कई वीपीएन कंपनियाँ ऐसी भी हैं जिनकी वीपीएन सेवाओं पर ऐसे किसी ब्लॉकर का न के बराबर असर होता है।
 
दोस्तों, यदि आप वीपीएन के इस्तेमाल के बारे में सोच रहे हैं तो इन फायदों और नुकसानों के आधार पर आप बेहतर फैसले ले सकते हैं।
 
तो दोस्तों! यह थी हमारी आज की पोस्ट जिसमें आपने गूगल शीट्स के बारे में जाना। अगर इस बारे में आपके मन मे अब भी कोई सवाल है तो कमेंट बॉक्स में लिख दें या नीचे बटन पर क्लिक करके हमारे "संपर्क पेज" पर विवरण भर कर हमें सेंड करें। आपको आपके सवाल का जवाब ज़रूर मिलेगा।

 
मैं उम्मीद करती हूँ की आपको मेरा यह आर्टिकल पसंद आया होगा और इससे आपको ज़रूर मदद मिली होगी। यदि आपको मेरा आर्टिकल पसंद आता है तो उसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करें और अपने सवाल हमे कमेंट कर सकते हैं।
 
यदि आप फेसबुक पर हैं तो हमसे जुड़ने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे जहाँ आपको सही बात पूरी जानकारी के साथ प्रदान की जाती है। हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए नीचे बटन पर क्लिक करें।

Post a Comment

0 Comments